Tulsidal (Part-1) + Shreemad Bhagwad Geeta + Aatmjagruti Ke Rahsya | Hindi Language | By Brahmarshi Pitamaha Dr. Patriji

Karma Siddhant + Shreemad Bhagwad Geeta + Swadhyay + Aatmjagruti Ke Rahsya | Hindi Language | By Brahmarshi Pitamaha Dr. Patriji

Package will contain 3 books:

Book1 - Tulsidal (Part-1) | Hindi Language
Book Details:
Book Title: Tulsidal (Hindi Language)
Language:
 Hindi
Author: Brahmarshi Pitamaha Dr.Patriji
Type: Paperback

"तुलसीदल" यह  एक  ऐसी  रचना  है  जो  हमें  परमसत्य  के  परिपूर्ण  रूप  को  समझने  में  सहायक  है । हर  इंसान  इस  सत्य  को  पाना  चाहता  है  परन्तु  उसे  मार्ग  समझ  नहीं  आता  और  इस  संसार  के  असंख्य  रास्तों  में  फँस  जाता  है ।  यह  पुस्तक  उस  हर  एक  इंसान  को  आत्म - जाग्रति  का  प्रकाश  दिखती  है  जो  सही  रूप  में  अपने  जीवन  को  सार्थक  बनाना  चाहता  है । इस  पुस्तक  में  ब्रह्मर्षी  पितामह  सुभाष पत्रीजी  ने  हमे   हर  आध्यत्मिक  संज्ञा  का  अर्थ  अत्यंत  सरल  करते  हुए  "तुलसीदल" के  मत  को  प्रशस्त  किया  है । तुलसीदल की  शाखा  के  दो  पत्ते  है  एक  है  ज्ञानसूत्र  जो  " तुम  अपने  वास्तव  की  खुद  ही  सृष्टि  कर  रहे  हो " को  दर्शाता  है  तो  दूसरा  पत्ता  ध्यानसूत्र  " आनापानसति " को ।

Book2 - Aatmjagruti Ke Rahasy (Hindi Language)

Book Details:
Book Title: Aatmjagruti Ke Rahasy(Hindi Language)
Language:
 Hindi
Author: Brahmarshi Pitamaha Dr.Patriji
Type: Paperback

यह किताब आपकी सोच बदल देगी जहाँ ब्रह्मर्षि पितामह पत्रीजी ने हमारे आंतरिक भूमिकाओ को निभाने की शक्ति के बारें में हमें अधिक गहराइयों में ले जाकर वैज्ञानिक दृष्टि से आध्यात्मिकता को हमारे सामने लाया हैं। किस प्रकार हम अपनी सोच को शुद्ध कर जो सोचते है उसे कैसे प्राप्त कर सकते है यह ज्ञान प्रदान किया हैं। तथा किसप्रकार हमारी वाणी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है और कैसी वाणी होने से हम लोकप्रिय तथा अपनी आत्मा की शुद्धता को बनाये रख सकते हैं। हमारे भौतिक तथा आध्यात्मिक जागृती का रहस्य हमारे इस किताब के द्वारा उजागर किया है जो आपके जीवन को नयी दिशा दिखायेगा।

Book3 - Shreemad Bhagwad Geeta (Hindi Language) | By Brahmarshi Pitamaha Dr.Patriji

Book Details:
Book Title: Shreemad Bhagwad Geeta (Hindi Language)
Language:
 Hindi
Author: Brahmarshi Pitamaha Dr.Patriji
Type: Paperback

इस "श्रीमद् भगवद्गीता" में हमें नित्य जीवन में किस प्रकार का ज्ञान आवश्यक है ? उस ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें किस प्रकार की साधना करनी चाहिए ? निमित्तमात्र रहते हुए कर्मबन्धनों में न उलझकर कर्तव्य-कर्माचरण कैसे हो ? धर्म क्या है ? सत्य क्या है ? सत्य में जीना है तो किस प्रकार के कर्म करना चाहिए ? किस प्रकार के ज्ञान का समुपार्जन करना चाहिए ?... इत्यादि अनेकानेक मौलिक विषयों के सम्बन्ध में भगवद्गीता के विविध अध्यायों में बताए गए अनेक श्लोकों से एक या दो श्लोक लेकर विस्तार से ब्रह्मर्षि पितामह पत्रीजी ने अत्यंत सरल शब्दों में इस ज्ञान को हमें बताया है जिससे उनका मुख्य उद्देश्य हर मानव को ध्यान की समझ देते हुए हमें श्रीकृष्ण ज्ञान को सखोल रूप से मिलाना है ।

 

 

Note:
This website is only for shipments within India. For outside India, please WhatsApp us product details and address for calculating shipping charges before making payment. WhatsApp. https://wa.me/message/AYHKPQYOVLTSJ1 or email at info@51pyramids.in